कमला,विमला और अमला की विशलिस्ट एक औसत मध्यमवर्गीय महिला का प्रतिनिधित्व करती है और इसमें परालौकिक तत्व की उपस्थिति के कारण अपनी राजनैतिक,सामाजिक महत्वाकांक्षाए घुसेड़ने का साहस मुझमें नही था। वैसे यहाँ यह बता देना जरूरी है कि जैसे मैं २० साल में साईकिलिंग की जगह ब्लागिंग करने लगा हूँ वैसे ही कमला,विमला और अमला भी बदलते भारतीय समाज और जीवनशैली के परिवर्तनों से अछूती नही रही है। उनके गाँव में भी स्टारटीवी और आजतक जैसे चैनल आते हैं, वे भी ईंटर पास हैं, उनके पोते भी अब ब्रिटेनिया बिस्कुट के रैपर पर छपा कूपन का नंबर लेकर पीसीओ में केबीसी की हमेशा ईंगेज रहने वाली लाईन से भिड़े रहते है, अपनी तकदीर का ताला खोलने और बिगबी के दीदार का चांस पाने के लिए। कमला,विमला और अमला भी अब कपड़े धोने के लिए पीले रंग की ५०१ नं वाली चौकोर बट्टी से सुपर रिन, नीम की दातून से कोलगेट की चमकार और दशहरे के मेले से रेव ३ तक का सफर तय कर चुकी हैं। यहाँ मेवालाल गुप्ता और विशंभर यादव का जिक्र भी लगे हाथ कर देना जरूरी है। दरअसल मेवालाल गुप्ता गाँव की पंचायत का सरपंच है और विमला उसी पंचायत में महिला कोटे से पंच है। दोनो की बिल्कुल नही बनती क्योकि विमला को लगता है कि मेवालाल उस ब्लाक के बीडीओ विशंभर यादव की मिलीभगत से विकास का पैसा हड़प कर जाता है। वैसे कुछेक साल पहले विशंभर यादव भरी पँचायत के सामने विमला के हाथो जलील हुआ था। न जाने कहाँ से उसने सुन लिया था कि
भारत दौरे के दौरान झींझक भी आने वाले हैं। पँचायत में उसकी और विमला की कुछ ईस प्रकार से नोंक झोंक हुई थी।
रामबदन यादव (पंच नं १): अरे विशंभर भईया ई कलीनटन कौनसे करनल है जो हमरे हियाँ आय रहे हैं?
जग्गू चौधरी (गाँव का थानेदार): अरे ऊ हमरे राषटरपति हैं शायद।
विशंभर: अरे नही, तुम सबको कुछ नही मालुम। ऊ तो अमरीका के राषटरपति ठहरे। ऊ हमरे हियाँ महिला परगति की रिपोरट देखे आय रहे हैं। गाँव वालो , यह हमरी ईज्जत का सवाल है, सिर्फ हमरी और मेवालाल की बीबी ही बीए पास हैं अतः केवल वहीं कलीनटन साहेब की आरती करिहैं और उनके साथ फोटू खिंचवईये।
विमला: काहे हम तो महिला पँच है, हम काहे नही खिँचवा सकते फोटू?
विशंभर: देखौ विमला, तुमको कछु तो मालुम है नही कि कौन है कलीनटन, फिर काहे उनके सामने कुछ उलटा सीधा बोलि के हम सबकी हुज्जत करईहौ?
विमला: मालुम है , सबै मालुम है ऊ वही है न लिंसकी
वाला?
अब विशंभर की बीबी उसके पीछे पड़ गई कि बताओ यह
कौन है? विमला ने जब पूरा लिंसकी प्रकरण उसके कान में बखान किया तो वह रणचंडिका बन गई। साफ ऐलान करके के बोली कि उसे किसी छलिया की अगवानी नही करनी न उसके साथ फोटूओटू खिंचवानी है।
शायद इसीलिए गाँव की ईकलौती सोडियम लाईट भी मेवालाल के घर के बाहर लगी है। विमला अक्सर कमला और अमला के साथ मिलकर गाँव की भलाई के लिए जो भी योजना बनाती है वह या तो मेवालाल विशंभर प्रसाद एंड कंपनी की चांडाल चौकड़ी के अड़ंगो का शिकार होती है या फिर उसके बजट का ९५ प्रतिशत हिस्सा वे दोनो बिना डकार लिए हजम कर जाते हैं। शायद ईसिलिए इनकी विशलिस्ट में ८ और ९ नंबर की ईच्छाऐं जुड़ी हैं। पर कुछ भी हो कमला,विमला और अमला की शँकर जी की अनन्य भक्ति में लेश मात्र की कमी नही आई। वैसे उनको अक्सर यह दुविधा जरूर होती थी कि उनकी विश लिस्ट में सिर्फ पहले दो नंबर की माँगो के अलावा शँकर जी ने बाकी की माँगो पर आज तक विचार क्यो नही किया? पिछले कुछ महीने पहले एक सोमवार को तीनो सखियाँ हमेशा की तरह शँकर जी के मँदिर पहुँची नियमित पूजा के लिए।
उस दिन सवेरे से खासी उमस भरी गर्मी थी। घरों के बाहर बहुत कम लोग थे, मँदिर भी जिस नहर के पास था वहाँ सन्नाटा था। पूजा के दौरान कमला का जल चड़ाने वाला लोटा हाथ से जमीन पर गिर गया और टन्न की जोरदार आवाज हुई। साथ ही एक कड़कती हुई भारीभरकम हुँकार के साथ किसी ने पूछा "कौन है?" तीनो सखियाँ चौंक कर आस पास देखने लगीं। अमला बोली, "अरे कमला यह तो शोले सनीमा जईसा हुइ गवा। ऊ फिलम में भी बसँती पर मँदिर में संकर भगवान चिल्लावत हैं।" कमला ने पलट कर जवाब दिया " अरी विमला, ऊ फिलम मां तो धरमिन्दर चुहलबाजी करत रहे, अब ईस बुड़ौती मे कौन्हो हमसे काहे को चुहल करिहै?" तभी फिर से वही भारी आवाज आई "अरे कौन हो तुम लोग, अरे विश्वकर्मा श्री, यह कौन सी लाईन कनेक्ट हो गई है?" अब तीनो सखियाँ चौंक कर आस पास देखने लगी कि यह आवाज कहाँ से आ रही है, पर दस मिनट की ढुड़ाई का कोई फायदा न होते देख विमला ने पूछ ही लिया "आप कौन हैं और कहाँ से बोल रहे है?" यह पूछते हुए विमला के दिमाग मे अँदेशा था कि शायद रात बिरात टेलिफोन वाले गलती से मँदिर में तो फोन नही लगा गये पर फोन की आवाज इतनी जोर से तो आती नही। तभी उसको अमला ने कोंचा, अमला का चेहरा फक्क पड़ चुका था। दोनो ने जब अमला के हाथ के इशारे को देखा तो उनके विस्मय की सीमा नही रही, आवाज शिवलिंग से आ रही थी। अत्यधिक रोमांच के चलते तीनो सखियाँ धम्म से शिवलिंग के सामने बैठ गयी और लगी फिर से जल चड़ाने और जोर जोर से मत्था रगड़ने। कमला ने तो जोर जोर से मँदिर का घँटा बजाना शुरू कर दिया कि तभी शिवलिंग से गर्जना हुई " अरे यह क्या बेहूदगी है? तुम लोग क्या कभी ढँग के मंदिर में नहीं गयी जहाँ लिखा होता है कि शिंवलिंग को रगड़ना मना है? और बंद करो यह घँटनाद। मेरा इस समय इसे सुनने का कोई मूड नही हैं। "
यही है वह शिवलिंग!विमला ने चिंचियाई सी आवाज मे कहा "प्रभु! अ आप?" शिंवलिंग से फिर आवाज आयी "हाँ , यह हम है स्वंय भोलेशँकर, हम प्रभातकाल में अँतराष्ट्रीय स्तर की जटिल समस्या पर विचार कर रहे थे कि पता नही कैसे तुम्हारे मँदिर से हमारी
वीआईपी हाटलाईन जुड़ गई। सवेरे सवेरे हमारे मेडिटेशन में खलल डाल दिया।"
विमला: हाटलाईन?
शिवलिंग: हाँ, हाटलाईन, हर प्रार्थना हम तक शिवलिंग से एक विशेष सँदेश लाईन के द्वारा आती है।
विमला :परंतु प्रभु सँदेश लाईन और वीआईपी हाटलाईन अलग अलग होती है क्या?
शिवलिंग: हाँ, सामान्य जनता के लिए सँदेश लाईन और नेतागण, अभिनेतागण और आईएएस जिन्हे तुमने क्रीमी लेयर का नाम दे रखा है उनके लिए हाटलाईन जब्कि राष्ट्रीय, अँतराष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण व्यक्ति जिनकी सुरक्षा मे कम से कम बीस पचीस ब्लैक कैट कमाँडो लगे हो उनके लिए
वीआईपी हाटलाईन।
विमला: पर प्रभु, यह तो अन्याय हुआ, हमने तो सुना है कि भगवान तो सबके लिए बराबर हैं।
शिवलिंग: अरे तुम पंच हो या
तरूण तेजपाल, हमारा ही
तहलका करने पर अमादा हो गई? यह सँदेश लाईन के अपग्रेड सैम पित्रोदा ने हमें सुझाये थे, बड़ा काबिल बँदा है। अरे अगर यह कैटेगराईजेशन न हो तो हर मिनट दो मिनट में तुम्हारे सरीखा भक्त टन्न से घँटा बजा के दो रूपल्ली के बताशे हाजिर कर देता है। पूछने पर एक ही जवाब कि भगवान हाउ डू यू डू करने चले आये थे। फिर हाजिर हो जाती है विशलिस्ट, वही पुरानी फटीचर माँगे कि मेरे लड़के का ट्राँसफर करा दो, दुकान की बिक्री बड़वा दो वगैरह वगैरह।
विमला: लेकिन प्रभू, यह तो सरासर अन्याय है, आपके करोड़ो भक्त हैं जो रातदिन आपका ध्यान करते हैं पर आप उनका ध्यान रखने की जगह सिर्फ हाटलाईन और वीआईपीलाईन पर ही प्रार्थनाऐ सुनेगे तो आपमे और भारत सरकार में फर्क क्या रह जायेगा।
शिवलिंग: जैसी सरकार चुनोगे वैसा शासन भोगोगे। जाति देखकर वोट देने को क्या मैने कहा था? और पहले की बात और थी, तब आबादी की वजह से प्रार्थनाओं की प्रोसेसिंग क्यू छोटी होती थी। अब तो छोटे छोटे बच्चे प्रार्थना करते हैं कि पापा
केबल न कटवाये नहीं तो
काँटा लगा देखने को नही मिलेगा।
विमला: लेकिन प्रभु बच्चे तो आपका ही प्रसाद हैं।
शिवलिंग: प्रसाद पर भी कोई राशन होता है कि नही? भड़काया जयप्रकाशनारायण ने कि "डरो नही हम जिंदा है" तो खत्म हो गया डर सँजय गाँधी की नसबँदी का और बड़ाते गये आबादी। अब सुदर्शन बहका रहा है तुम सबको कि हिंदू कम पड़ गये, बड़ाओ आबादी। लगता है उसका जल्दी ईंतजाम करना होगा।
इसके बाद अगले दो घँटे तक विमला और शँकर जी की नोंकझोंक चलती रही। अब विमला भले ही अटल जी की तरह कुशल वक्ता न हो पर पँच होने के नाते उसे सवाल जवाब खूब आते थे और उसने शँकर जी की इस वर्गभेद आधारित प्रार्थना सुनने की प्रणाली की धज्जियाँ उड़ाने में कोई कसर नही छोड़ी। बहस का तापमान जैसे जैसे बड़ रहा था, तीनो सहेलियों को समझ आ गया था कि क्यों आम जनता त्रस्त है और क्यो शासक वर्ग मालामाल हैं। क्यों बड़े बड़े घोटालेबाज नेता महायज्ञ वगैरह कराकर फिर से सत्तासुख भोगते हैं। खैर आप सब सुधी पाठकजन है ज्यादा डिटेल दिये बिना आप समझ गये होंगे कि इस बहस के मुद्दे क्या रहे होंगे। बहस का नतीजा अगले भाग में। तब तक के लिए लेते हैं एक छोटा सा नान-कामर्शियल ब्रे..........क|