नि:शब्द -- खामखाँ का बावेला
पिछले दिनों नि:शब्द देखी । इस फिल्म को लेकर खासा बावेला मचा था देश में । मुझे लगा कि फिल्म को दो तरह से देखा गया है लोगो के द्वारा । सतही तौर पर देखेंगे तो आप बिग बी द्वारा सींग कटा के बछड़ो में शामिल होने की कोशिश को लताड़े बिना नही रहेंगे । पर एक और भी पहलू है। इसे धवलकेशी वर्ग ने भी प्रमुखता से देखा। शायद पसंद भी किया । क्यों ? अब नवयुवा, युवा और अधेड़ावस्था को अग्रसर आयुवर्ग के पेट में मरोड़ क्यों उठ रहे हैं वृद्धों के मन में खिलती हरियाली देखकर। क्या हमें लगता हैं कि पाश्चात्य संस्कृति ने हमारी जड़ो पर हमला कर दिया? संस्कृति के प्रहरी इन वृद्धों को रामायणं शरणम गच्छाःमी के उपदेश देना न भूले होंगें। पर यह भी एक किस्म का आतंकवाद ही है।
अगर कुछ देर के लिये संस्कृति और धर्म को परे रख दें तो कुछ गंभीर प्रश्न उठाये हैं इस फिल्म ने और कुछ दृश्य बहुत साहसिक मुद्दे उठाते हैं।
जो दो दृश्य मुझे साहसिक लगे उनमें पहला था जब अमिताभ अपने मित्र द्वारा यह पूछे जाने पर कि "Are you really serious about this relation?" सपाट जवाब देते हैं कि "हाँ"। साठ वर्षीय वृद्ध के षोडषी से संबध को गलत सही ठहराने से पहले सोचिये कि सच को सच एक झटके में कहा गया है। उसे आध्यात्मिक प्रेम, वात्सल्य या फिर किसी और ढकोसले का बाना पहना कर सात आठ रील तक नही खींचा लेखक निर्देशक ने। इतनी साफगोई अभी अपने समाज में नही।
दूसरा दृश्य फिल्म के अँत मे हैं , यहाँ भी अमिताभ की स्वीकारोक्ति कि उनका षोडषी से रिश्ता यथार्थ के धरातल पर टिकने वाला नही, मुझे सराहनीय लगा। जहाँ अपनी गलती है उसे पूरी ईमानदारी से स्वीकारने के लिये बहुत हिम्मत चाहिये।
अब आता हूँ बुनियादि सवाल पर। यहाँ इस फिल्म में अमिताभ वर्चुअल विधुर हैं, पत्नी है पर जिम्मेदारियों और समय ने संबधो की उष्णता सुखा दी है। पर याद कीजिये १९८६ में बनी फिल्म अमृत। अपने ही बच्चों द्वारा बेगाने किये गये दो एकाकी जीवन जीते विधुर अमृत और विधवा कमला को। अपने दैनिक सुःख दुःख के दो पल साथ बाँतने की उनकी कोशिश को अनैतिक ठहरा सकते हैं आप। अगर नहीं तो जनाब यही डेटिंग है वृद्धों की। यहाँ अमेरिका में तो खूब चलती है। एकाकी जीवन जीने वाले वृ्द्ध सिर्फ कुछ लम्हे साथ बिताने को मित्र ढूँढ़ लेते हैं। इनका उद्देश्य हमेशा नापाक नही होता। अपने समाज में एकाकी जीवन जीते वृद्धों के पास ऐसा कोई विकल्प नही। नैतिकता संस्कृति और धर्म की बहुत ऊँची और मजबूत दीवारे हैं।